भूतिया चित्रकार की रहस्यमयी हवेली


भूतिया चित्रकार की रहस्यमयी हवेली


           भूतिया चित्रकार की रहस्यमयी हवेली


परिचय:


गाँव के किनारे एक पुरानी और सुनसान हवेली खड़ी थी, जिसे लोग "चित्रकार की हवेली" के नाम से जानते थे। इस हवेली के बारे में कहा जाता था कि वहाँ रात में रहस्यमयी चित्र बनते हैं और जो भी उन चित्रों को देखता है, वह पागल हो जाता है। इस हवेली के अंदर एक भूतिया चित्रकार की आत्मा का वास माना जाता था, जो अपनी अधूरी कृति को पूरा करने के लिए रात-दिन भटकती रहती थी।

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कहानी:

अरुण, एक युवा और साहसी कलाकार, जो नई-नई कला की खोज में रहता था, अपने दोस्तों राधा और समीर के साथ गाँव घूमने आया था। गाँव में घूमते-घूमते उसने उस भूतिया हवेली के बारे में सुना और उसकी जिज्ञासा जाग उठी। उसने तय किया कि वह इस हवेली के रहस्य को सुलझाकर ही मानेगा।


एक शाम, अरुण और उसके दोस्त राधा और समीर ने हवेली जाने का निश्चय किया। वे अपने-अपने बैग्स में जरूरी सामान रखकर हवेली की ओर चल पड़े। हवेली का मुख्य द्वार जर्जर हो चुका था और अंदर का माहौल बेहद भयानक था। जैसे ही वे अंदर गए, एक ठंडी हवा का झोंका आया और दरवाजा अपने आप बंद हो गया। तीनों दोस्तों को थोड़ा डर लगा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।


हवेली के अंदर का दृश्य बेहद डरावना था। दीवारों पर अधूरे चित्र लगे थे, जिनमें से कुछ के चेहरे भयावह थे। अरुण ने उन चित्रों को ध्यान से देखा और पाया कि उनमें कुछ अजीब था। वह अपने स्केचबुक में उन चित्रों को उतारने लगा। तभी एक कमरा खुला और अंदर से एक अजीब सी रोशनी निकली। तीनों दोस्तों ने हिम्मत करके उस कमरे में प्रवेश किया।


कमरे के अंदर एक बड़ा सा चित्रकारी का स्टूडियो था, जहां एक अधूरा चित्र रखा था। अरुण ने उस चित्र को ध्यान से देखा और पाया कि वह चित्र उसी की शक्ल का था। अचानक उस कमरे की दीवारों पर लगे चित्र हिलने लगे और उनमें से एक भूतिया चित्रकार की आत्मा प्रकट हुई।

भूतिया चित्रकार की रहस्यमयी हवेली


उस आत्मा ने कहा, "मैं इस चित्र को पूरा नहीं कर पाया और अब मुझे शांति नहीं मिल रही है। मुझे इस चित्र को पूरा करने में मदद करो, ताकि मैं मुक्त हो सकूं।"अरुण ने साहस जुटाकर कहा, "मैं तुम्हारी मदद करूंगा।"चित्रकार की आत्मा ने अरुण को एक पुरानी तूलिका दी और कहा, "इस तूलिका से चित्र पूरा करो।"


अरुण ने तूलिका को उठाया और चित्र को पूरा करना शुरू किया। जैसे-जैसे वह चित्र पूरा करता गया, हवेली में अजीब-अजीब आवाजें गूंजने लगीं। लेकिन अरुण ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर चित्र को पूरा किया। चित्र पूरा होते ही आत्मा ने अरुण का धन्यवाद किया और हवेली की सारी बत्तियाँ बुझ गईं। अगले ही पल, हवेली में एक जोर का धमाका हुआ और सब कुछ शांत हो गया।


तीनों दोस्त जल्दी से हवेली से बाहर निकले और देखा कि हवेली अब एक साधारण भवन में बदल चुकी थी। अरुण, राधा और समीर ने महसूस किया कि उन्होंने आत्मा को मुक्त कर दिया है और हवेली का रहस्य सुलझा लिया है। उस दिन के बाद, हवेली में कोई रहस्यमयी घटना नहीं हुई और गाँव के लोग भी चैन की साँस लेने लगे|


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